Wednesday 27 December 2017

प्रलेस अपन हितैषी सुरेन्द्र स्निग्ध के याद मे काव्य गोष्ठी के आयोजन कैलखिन

नोट- चित्र के नीचे मगही में रिपोर्ट हे. हिन्दी में जादे चित्र के साथ पढ़े लागि ईहाँ क्लिक करS -  


पच्चीस दिसम्बर दु हजार सतरह के पटना के लेखराज परिसर, पटेल नगर मे इ मरनवाला कवि सुरेन्द्र स्निग्ध के श्रद्धांजलि कविता पढ के देवल गेलय। मौन होके उनखर आत्मा के शांति के विनती कैल गेलय।एकर अध्यक्षता वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज कैलखिन आउ संचालन रानी श्रीवास्तव। रानी श्रीवास्तव जी सुरेन्द्र स्निग्ध के दूगो कविता ' अंतिम एकांत' आउ वर्षा के पाठ कैलखिन।

कथाकार डॉ शिवनारायण जी उनखर साथे बिताबल समय के याद कैलखिन। आउ बतैलखिन कि शुरू मे स्निग्ध जी के बहुते संघर्ष करे पड़लय। बाकि उ हिम्मत से डटल रहलखिन।


दोसरका सत्र मे सब अपन अपन कविता पढ़लखिन। जेकरा मे कवि शिवनारायण, शहंशाह आलम, समीर परिमल, रविन्द्र के दास, अनिल विभाकर, राजकिशोर राजन, विजय प्रकाश, सुशील भारद्वाज, सुजीत वर्मा, ज्योति स्पर्श, नवनीत कृष्ण, गणेशजी बागी, इति मानवी,राजेश कमलजी भी हलखिन।

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मगही आलेख- लता प्रासर
छायाचित्र साभार- शहंशाह आलम
लिखताहर - लता प्रासर मगहिया

Saturday 23 December 2017

सुरेन्द्र स्निग्ध के याद में / लता प्रासर

अक्खड़ मियाज के एगो लेखक भुइयां छोड़ मट्टी में मिल गेलखीं। हमर शहर पटना उनखर याद के जौर करे मे लगल हय।हां जे तों समझ रहलहो ह हम उनखे बात कर रहलियो ह। पटना यूनिवर्सिटी के बुतरूअन के धड़कन हलखिन सुरेन्द्र स्निग्ध जी।

 


नखर शान में कुछो कहल जाय कमही होतय। हमरा त उनका जाने के मोक्का कमही मिललय,बाकि 21 दिसंबर 2017 के दिन उनकर श्रद्धांजलि सभा में जे सुने ल मिललय उ मन के छूए ल बहुते हलय। हम सब जैसन नौसिखिया लगी उ प्रेरणा हलखीं।बिना केकरो परवाह कैले कैसे अपन लेखनी पर दृढ़ता से अधिकार कैल जा हय एही गुन उनका सबसे अलग रख हलय। स्निग्ध जी के कहानी,उपन्यास, कविता सब मे उनकर तेवर देखे ल मिल जा हय। एहे साल हिन्दी भवन मे एगो कार्यक्रम मे मुलकात होलय हल। तब हम पुछलिय अपने के तबियत कैसन हय,कहलखिन  सब बढिया। बाकि कमजोरी से मुहमा उतरल हलय।

सचमुच आज भुइँया उनकर याद मे शोक मना रहले ह। हमनी सब दने से इहे श्रद्धांजलि होतय कि हमनियो बेपरवाह होके साहित्य के सेवा करूं आउ कराउं ।
लिखताहर- लता प्रासर
पता- लोहरा, हरनौत, बिहार ,भारत।
ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com

Wednesday 13 December 2017

मगही पोस्टों की सूची - बिहारी धमाका के मेन पेज पर

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घमंडी राम के पुस्तक के लोकारपन
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/07/release-of-ghamandi-rams-book-report-in.html

मगही के कुछ जाने माने कवि और अन्य
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राकेश प्रियदर्शी के कविता
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सर्वभाषा कवि सम्मेलन
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रचनाकार लोगन के सूची
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बलाभद्र कल्याण के स्मृति सभा में राजकुमार प्रेमी के मगही कविता
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/04/some-popular-writers-in-maithili.html

बी.एन.विश्वकर्मा के मगही कविता
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/07/s.html

बी.एन.विश्वकर्मा के बाल मगही कविता
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/06/magahi-poem-of-dr-bn-vishwakarma-with.html

मगही रचनाकार के मोबाइल नम्बर
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Tuesday 12 December 2017

पूस महीना (मगही कविता ) - लता प्रासर के कविता

पूस महीना
 (लता प्रासर के मगही कविता )



ऐलो पुसवा के महीनमा रामा सले सले।

लगे लगलो जड़बा बतास रामा हौले हौले।



खइहS सब नउका चाउर के पीठवा रामा गरमे गरमे।

पीठबे सेकयतय रामा बउआ के गोड़े गोड़े।



आदिया आउ गुड़बा किनयलय रामा घरे घरे।

हरदी मिलाई के हलुआ बनाबय रामा करे करे।



चूड़वा जे धमकय रामा हरियरका घरे घरे।

दहिया लपेटी सब खयिथिन रामा छीपे छीपे।



तीलीया कटाई काटी लड़ुआ बनैली रामा कारे कारे।

सेहो लड़ुआ पेठैनु रामा धीआ दामाद के घरे घरे।



बूटबा खेसड़िया के सगबा गलैबय रामा हरे हरे।

भतबा पकइबय बउआ के खिलइबय रामा गरे गरे।



गौना के कनियैया घुघबे में नुक्कल रामा लाजे लाजे।

दुलहबा के दिनमा बितहय रामा राजे राजे ।

नौका नेहलिया तोसकबा अइलय रामा जोड़े जोड़े।

कनिया दुलहबा करहय झिकझोरिया रामा संगे संगे।



पूस के दिनमा फूस होइ गेलय रामा हबरे हबरे ?

बुढ़बा बुतरूआ बचाइ के रखिह रामा जाड़े जाड़े।
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लिखताहर- लता प्रासर

Monday 4 December 2017

ई ह हमर दू दिन के ब्यौरा पटना पुस्तक मेला के

किताब के दुनिया उ सागर हय जे चखे मे खारा तो लग हय बाकि जीनगी के अस्तित्व ओकरे पर टीकल हय



दू दिन से किताब के मेला लगल हको। इगारह दिसम्बर तक चलतो। सब के नौता दे रहलियो ह। अइह जरूर ,हमहुं भुलाइल हियो मेलबे में। कहाँ कुछ सूझS हय मेलबा के आगू। किताब से दोस्ती यारी त हमरा बुतरुए से हलय। बाकि इ अब आकाश चढ़े लगलय ह।


अच्छा छोड़S इ सब बात। अब दू दिन में जे देखलिओ बताबS हियो।पहिलका दिन मुखमंत्री एकर उद्घाटन कैलखिन। आउ कहलखिन कोय शराब पिये ,चाहे बेटी के बियाह में दहेज लेबे त ओकर बहिष्कार कर। किताब के दुनिया उ सागर हय जे चखे मे खारा तो लग हय बाकि जीनगी के अस्तित्व ओकरे पर टीकल हय।

एजा मिजाज के हिसाब से किताब अलगे अलगे लगाबल गेलय ह। कोय के कहानी अच्छा लग हय। कोय कविता, उपन्यास, निबंध,आदि के खोजे मे लगल हखीं। अपन अपन सौख से सब किताब खरीद के पढ़े में मशगूल हखीं। इ मेला एकदम किताब घर जयसन लगS हय।

दुसरका दिन भीड़ आउ बढ़ गेलो। बिहार में सीता के देस में इस्त्री कथा पर परिचर्चा कैल गेलो। बाकि बड़का बड़का बिद्वान चर्चा में लगल हलखीं। इ मेला नय कोय बड़का नय कोय छोटका बुझा हखीं इहे एकर बड़प्पन हय।

एकबार फिर हम कहहियो सब कोय आबS किताब से गला मिलाबS
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लिखताहर - लता प्रासर (Lata Prasar)
मूल निवास - लोहरा (नालंदा)
वर्तमान निवास - पटना, बिहार


   


Friday 1 December 2017

मगही एवं हिंदी के साहित्यकार श्री गोवर्धन प्रसाद सदय का निधन 30 नवम्बर को




राज्य के वरीष्ठ मगही एवं हिंदी के 

साहित्यकार श्री गोवर्धन प्रसाद सदय का निधन 30 नवम्बर को गया में हो गया. यह बिहार राज्य के साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है. एक श्रद्धांजलि सभा मंगलम साहित्य कला परिषद की  ओर से पटना मे आयोजित की गई जिसमे पटना के साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी एवं नाट्यकर्मी लोगों ने भाग लिया.  डा. बी.एन.विश्वकर्मा, संजय पाठक, डा. राजकुमार सिंह, मनोज गोवर्धनपुरी, सुधांशु चक्रवर्ती, आनंद किशोर शास्त्री, आस्था आनंद समेत दर्जनों लोग उपस्थित होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया.
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(Courtesy-  FB wall of BN Vishwakarma date- 01.12.2017)

Friday 10 November 2017

इ अगहन के महीनमा सबके मतवाला कैले हय / लता प्रासर

झिर झिर हवा बह के सबके मन बहका रहलय हS
जरी जरी जाड़ा लगे लगले हS
इ अगहन के महीनमा सबके मतवाला कैले हय।
अब तो शादियो बिआह के घुनघुनी शुरू होवे लगले हS
ऐसे मे केकरा नय इ सनसनाहट के सुने के मन करतय।
गाम मे तो सगरो धान के कालीन बिछल हय।
जेकरा देख उहे इ कालीन पर घोलटे ल बेचैन हय।
सगरो हरियरका चुड़ा के गंध से मन हरिऐले हय।

जवान जवान बुतरूअन सब इहे धान के महल मे अपन सपना के पंख लगा्वे मे जुटल हखीं। अखनी कहां सुध बुध हय। दु चार गो साथी सब मिल के मनमौजी गप मे डुबकी लगाबे मे लग रह हखीं।

अभीए से बुढ़ा बुढ़ी सब लिहाफ ओढ़े लगलखिन। इनखो सब के खिस्सा सुने मे खुब मन लगS हय। अगहन के महीने अइसन होबS हय। बुतरूअन सब के देख के भितरे भितरे गुदगुदैते रहS हखीं।

जेकर बिआह होबे बला हय ओकर तो कुछ कहने नय हय। अपने मे हंस हय अपने मे लजा हय। जगह जगह मेला लगल हय। बिहार मे दु गो बड़का मेला एगो राजगीर मे एगो सोनपुर मे अगहने मे लगS हय।

जे अगहन के गुन जानS होतखीं । उनको मन सिहर रहले होत।

अगहनिया दुलार सब लगी।
लिखताहर
लता प्रासर
पटना (बिहार)
भारत




Thursday 9 November 2017

सब साथी के स्नेह / लता प्रासर

सबसे पहिले हम उनका सब के परनाम करही जे हमर दुख सुख के अनुभूति के समझे के कोशिश कैलखिन।आज हमरा समझ मे आवे लगलय कि जिनकर करेजा बड़गो होव हय ,उनकर आगे मुह खोले नय पड़ हय।

हम तो अप्पन दुख केकरो नय बतैलिय,बाकि जे हमरा समझ हखिं उ समझ गेलखीं कि हमरा केतना ठेस लगल हय। उनका सब के हम फेर से गोड़ छु के परनाम कर ही।

रहीम जी कहलखिन ह कि ः


रहिमन निजमन की व्यथा मन ही राखो गोय,

सुन अठिलैहे लोग सब बाटि न लैहे कोय।

इहे वचन धियान मे रख के हम आझ तक केकरो से कुछ कहे के साहस नय कैलिय।बाकि आझ हमरा इ जरूर समझ मे आव हय कि जे सहृदयी साथी होव हखीं उ ऐंठे से जादे बचाबे के कोरसिस कर हखी।

आझ सब साथी के स्नेह से हमर करेजा बड़गो हो रहलो ह । तोहनी सब के सहयोग से कुछ करे के लिखे के मन कर हको।

फेर बतिऐबो 
अखनी परनाम
लता प्रासर
लिखताहर
अगहन पचमी अन्हरिया सं. २०७४



Wednesday 25 October 2017

छ्ठ पर्व पर नानी घर के याद आ रहलो हS / लता पराशर

आज छठ के गीत सुन के हमरो कुछ कहे के मन कर रहलो ह।


हमरा आजहूं याद हय कि छठ समय ऐते ही नानीघर जाय ल मनमा छटपटाय लग हलय। नानीघर मे छठ के समय जे आजादी हलय आज यादे बन के रह गेलय।

अखनियो मन कर हय दौड़ के नानीघर जांउ। बाकि समय बीतलय शहर मे जीये के सुविधा जिनगी के बेवस कयले हय।

आज सगरो छठ के धूम मचल  हय ,सब अपन अपन सगा संबंधी आउ जान पहचान बालन के घरे जा जा के परसादी पा रहलखीं हँ।

आझे खरना हय। बाकि आझही रात से कलहे के तैयारी शुरु होवे लग हय।

दुपहरे से सब घाट पर जाय लग हखीं, हुंआ जाके सब सूरज भगवान के डूबे तक उनकर अरघ दे के पराथना कर हखीं, कि घर परिवार के सुख शांति रहे। धन धान्य बनल रहे।

औरत मरद ,बाल बुतरु सभे मिलजुल के एकर सादगी के धियान रख हखीं। जेतना भी परसाद बनाबल जा हय।सब घरे मे तैयार करल जा  हय।

सांझ अरघ के बाद भोरे के अरघ के तैयारी कैल जा हय।

फिर खुशी खुशी सब अपन अपन घर जा के नया उमंग से अपन जिनगी के काम मे लग जा हखी।
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लेखिका - लता पराशर

लेखिका के ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com
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छठ पर्व

Monday 23 October 2017

लता पराशर के अनेक मगही कविता

कविता- एक




मैया आ गेलौ देबाली,हमरा दे दे तू फटाका।
घर से बाहर चौरहबा पर हमहु करबौ धमाका।
मैया दे दे तू फटाका।
बेटा दुनिया में अन्हार भरल हय,
नय छोड़िहं फटाका।
देख जमाना कैसन अइलउ,
गाय के गोबर मिलौ नय कनहु,
अंगना कइसे निपइतउ।
इ सब बतिया छोड़ के मैया,
दे दे तू फटाका।
(रचनाकार-  लता पराशर)
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कविता- दू

देश मुखिया ऐलखिन पटना,
बउआ देखे ल परसान,
सगरो देख भीड़ लगल हय।
छोटका बुतरुआ कन्हा चढल हय,
देखे ल इ घटना।
देश के मुखिया ऐलखिन पटना।
सेवा टहल सब कर रहलखिन,
जब से मुखिया ऐलखिन।
सब के मुंह पर यही रटना,
देश के मुखिया ऐलखिन पटना
टे टे पो पो के शोर बढ़ल हय।
राज सड़क जब बन्द पड़ल हय।
मोसकिल ओजा अटना
देश के मुखिया ऐलखिन पटना।
(रचनाकार-  लता पराशर)
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कविता- तीन

संगी साथी सब याद कर होतखीं,
इहे सोच के कुछ बतियाबे के मन करलो,
त बतियाबे लगलियो।
अइलय जे कातिक महीनमा
झूमय हम्मर मनमा
पावन दिनमा ना।
सखि हे चलहो ने गंगा असननियां,
लयबो हम गंगा पनिया।
गंगा के पनिया सखि हे,
छीटबय घरबा दुहरिया,
मिट जयतय सभे मोर बलइया,
बजे लगतय घरबा में बधइया।
हमे नही जयबो सखि हे,
गंगा असननियां,नहि लइबो गंगा के पनिया।
गंगा के पनिया सखि हे छूतहर हो गेलय।
बढे ओकरो से बिमरिया।
घर ही नहयबय सखि हे,
घरहीं से करबय परनाम।
भूल चूक तबे माफ होतय
जब हम्मर गलती के एहसास करैबहो।
सब के गोड़ लागी।
(रचनाकार-  लता पराशर)
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कवयित्री का ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com
कवयित्री का परिचय- लता परासर हिन्दी और मगही दोनो भाषाओं में अपनी रचनाओं के लिए जानी जाती हैं. मगही भाषा के प्रचार-प्रसार में इनका योगदान सराहनीय है. मगही भाषा में प्रथम ई-रिपोर्ट इन्होंने किया है जो बिहारी धमाका ब्लॉग के मुख्य पेज पर प्रकाशित हो चुका है. पेशे से यह शिक्षक हैं और अनेक संघर्षों को झेलते हुए इन्होंने दो विषयों में स्नातकोत्तर की उपाधि सफलतापूर्वक प्राप्त की है.
मगही भाषा में पहली ई-रिपोर्ट लता पराशर के द्वारा बिहारी धमाका ब्लॉग पर की गई, हमारा यह दावा अभी तक कायम है. उस मगही रिपोर्ट को मगही और अंग्रेजी भाषा में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए -  http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/07/release-of-ghamandi-rams-book-report-in.html
कवयित्री का लिंक- https://www.facebook.com/lata.prasar
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