Tuesday 30 January 2018

मगही कविता -आबS बालम / लता प्रासर

फागुन अइलय बालम तुहूँ चली आवS
गौना कराके हमरा ससुरे ले आवS
सभे सखि गावहय हमरा रिझावहय
कर हकय हंसिया ठिठोली जी

जबे तु अइहा बालेम टिकुली ले अइहS
लाले रंग चुनरी रंगयिहा गोटेदार जी
अंगिया सिलयिहा खुबे फैसनदार जी
रंग महाबर आउरो होठ लाली जी

किया तोरा बालेम जी जिया नय धड़कहो
काहे करहS एते देर जी
दुई चार लोग बोलाई ले अइहS
गौना कराइके हमरा ले जयिहS

धानी हमरो धड़कय जियरा
तोहरा से मिले ल मन बउरा हय 
लाज के मारे हम चुप रही जा ही
मने मे तोरा से खूबे बतिया ही.
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लिखताहर - लता प्रासर
पता- लोहरा हरनौत
ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com


Tuesday 23 January 2018

बसंती विरह / कवयित्री- लता प्रासर

अइलय बसंत,नहिं पिया मोरे अइलन


सखि हे अइलय बसंत,नहिं पिया मोरे अइलन
रहिया देखS ही सखि हे काहे नहिं अइलन
फुलबा खिलS है सखि हे रंग बिरंग के 
पिया बिनु सखि हे कौनो रंग नय भावै

हरियर हरियर पतबा सखि हे जियरा जराबS हय
गाछ बृक्ष सखि हे हलसल करहय 
हलसी हलसी हमरा मुंहबा चिढ़ाबS हय
झुमी झुमी राग बसंत के गाबS हय

कयिसन नौकरिया करS ह बलेमु जी
चलि आबS छोड़ि के ऐसनो नौकरिया
बीती गेलय जड़बा, अइलय बसंत 
तोरा बिनु पियबा कटय न दिन रतिया

घर ही मे पियाजी बाग लगईहS
धान आउ गेहुंआ के खेतिया करईहS
बुटबा खेसड़िया के झंगरी लगईहS
सरसों के फुलबा से बसंत के बोलईहS

अइलय बसंत पियाजी तुहूँ चलि आबS
अपने ही हथबा से चुड़िया पेनहाबS
धानी रंग के लंहगा आउ चुनरी ओढ़ाबS
हमरा संग पियाजी बसंत मनाबS

तोहरो सनेस पियाजी सुनी हम गाबही
रह रह मनमा के अपने समझाबS ही
ऐहो बसंत लागी तोरा हम मनाबS ही
तोरे हम जिनगी के सिंगार मानS ही।
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लिखताहर - लता प्रासर
पता- लोहरा, नालंदा

Monday 15 January 2018

तीलवा तिलकुटवा न लयिला ए बाबुजी / कवयित्री- लता प्रासर

तीलवा तिलकुटवा न लयिला ए बाबुजी,कउची हम खइबय हो राम
हमरो करेजवा तरसय ए बाबुजी, कयिसे बीततै सकरतिया हो राम

सभे कोय खा हय हरियर चुड़वा ए बाबुजी. हमरा नेमानो नय हो राम
भइया ल छाली भरल दहिया ए बाबु जी, हमरा नय मठबो हो राम

हरियर गदबा के खिचड़ी ए बाबु जी,गद गद पकय हो राम
घीयबा से छौंकल खिचड़िया ए बाबु, चोखबा के साथे सब खाय हो राम

अचरबा पपड़बा सब लेलहो ए बाबुजी, चपड़ चपड़ खैलहो हो राम
सभे बहिनी मुंहबा तकलियो ए बाबुजी, खाय ल करेजबा फटलय हो राम

हमहूँ उड़यिबो गुड्डिया ए बाबुजी, उड़य हमर मनमो हो राम
हमरो करेजवा तरसय ए बाबुजी,कयिसे बीततै सकरतिया हो राम।
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कवयित्री- लता प्रासर
ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com
प्रतिक्रिया ईहो ईमेल पर भेज सकS ह- hemantdas_2001@yahoo.com

लता प्रासर

Wednesday 3 January 2018

माघ के दिन बाघ, नहाय बला सब घाघ / लता प्रासर

माघ के दिन बाघनहाय बला सब घाघ

लता प्रासर
माघे जाड़ नय पूसे जाड़जेतने बियार ओतने  जाड़ ।
अरिये अरिये खेते खेते धनमा तो कटाई गेलय।
घरे घरे चुड़वा कुटाई गेलय,
चुड़वा कुटीये कुटी सबके पेठाई रहलय।
धी दमाद से रिस्ता हरियाले रहय।
किसनमा भगवान से मनैते रहय।

येही धनमा रिस्ता जोड़य।
येही धनमा मनमा जोड़य।
कुछ धनमा पुरहर ल रखल।
कुछ धनमा चुमौना ल बचैले हय।
ऐले मघबा बाजा बजतय।

मुनिया,रधिया, चुन्नी मुन्नी सबके गौना होतय।
गौना मे चुमौना होतय।
चुनिया के भयिबा साथे जयतय।
भाय बहिन के रिस्ता मे स्नेह बढ़ैतय।
जब मुनिया ससुराल पहुंचलय।
सास ससुर सब राह देखS हय।
ऐलय दुल्हिन लैलकय चुड़बा।
ये ही तो संदेश कहाबय।
घर घर जा के यही बटाबय।
सगे संबंधी के चुड़बा से दिल जोड़ाबय।

माघ माघ सब माघ रटS हय।
जब हव्वा हिलोरा मारय।
आग काठी सब ठंढ पड़ल हय।
नदिया के पनिया सुखे लगलय।
ताल तलैया सूना पड़लय।
धान के बाद जे गेहूंआ लगलय।
पनिया पनिया करहय।

हरियाली पर पियरी चढ़ल हय।
सरसो पियर मनमा हरियर।
कैसन सब पर खुमारी चढ़ल हय।
माघ हवा मे हिलोरा मारय।
फुलबा सरसों के कालीन बनल हय।
जियरा तरसय, मनमा हरसय।
सरसो से गले मिलावे ल।
जब सरसोइया झन झन बजय।
गोरी के याद देलाबS हय।
मनमा के बहकाबS हय।
सरसो के झन झन सुन सुन के।
कोयलियो नाचS गाबS हय।
पियबा के याद दिलाबS हय।

बूट के गादाकेराव के गादा।
मथबा पर किसनमा लादा।
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लिखताहर- लता प्रासर
पता- लोहरा हरनौत
ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com