Tuesday 22 September 2020

जमाना बदले के चाही / कवि - बी. एन. विश्वकर्मा

 कविता

(कोरोना पेज / मुख्य पेज देखS- bejodindia.in / हर 12 घंटा पर देखSFB+  Bejod )

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कवि - डॉ. बी. एन. विश्वकर्मा
कवि के परिचय - कवि पटना में रहे वला एगो जानल मानल सामाजिक कार्यकर्ता हथिन जे विश्वकर्मा समाज के संग़ठन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के महत्वपूर्ण पद पर बहुत साल से सुशोभित करले हथिन. ई हिंदी आउ मगही में लीख हथिन आउ वर्तमान में एगो महत्वपूर्ण राजनैतिक पार्टी के संगठनिक पद पर सुशोभित हथिन.
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Sunday 29 March 2020

मैखाना होलौ बंद आ पैमाना होलौ बंद / कवि - प्रकाश रंजन 'शैल'

कोरोना बंदी पर दू गो बंदिश

(कोरोना पेज / मुख्य पेज देखS- bejodindia.in / हर 12 घंटा पर देखSFB+  Bejod )



1
मैखाना होलौ बंद आ पैमाना होलौ बंद
पंडितजी हथिन बंद आ मौलाना होलौ बंद।

अल्लाह हथिन बंद आ भगवान हथिन बंद
राहत के बात हौ कि मेहमान होलौ बंद।

कारोबार होलौ बंद साहुकार होलौ बंद
व्यवहार होलौ बंद सरोकार होलौ बंद।

रेल हौ जी बंद भईया खेल होलौ बंद
आंखि बैठि जाइ तो से मेल होलौ बंद।


2
(ई मगही भाषा में ना हे)

लैला जे हुयी बंद त करेजा तड़प गया
बौरा गया इ मजनू आ छत से छरप गया।

थोड़के तनी आगे बढे यमराज दिख गया
पीछे मे हमरे इश्क के फरियाद लिख गया।

कउनौ जा के होखे इश्क का सलाम कह दीहो
लगैलीक हल्दी-चूना आ झंडू बाम कह दीहो।।
.......


कवि - प्रकाश रंजन 'शैल', पटना।
ईमेल - prakashphc@gmail.com
इस कविता का हिंदी संस्करण देखिए - यहाँ क्लिक कीजिए

Friday 21 February 2020

एक डोल पानी तो भर द / कवि - अस्मुरारी नंदन मिश्र

कविता
मातृभाषा दिवस के अवसर पर 

(मुख्य पेज देखS- https://bejodindia.blogspot.com/ हर 12 घंटा पर देखSFB+  Bejod India)


मिठका कुइयाँ भीड़
एक डोल पानी तो भर द
कोय माँगे गंगा, कोय चाहे जमजम
कोय-कोय अमरित ले साँस लेवे थमथम
हमनी के एही सब नीर
एक डोल पानी तो भर द

मिट्ठा तो एकर ऐसन है पानी
चीनी घोरल जैसन मगही बानी
अदरा के जैसन खीर
एक डोल पानी तो भर द

जेठ के दोपहरी में तरल-तरावट
पूस के भोरवा में भाप गरमाहट
औरे दिन मन के मीर
एक डोल पानी तो भर द

ओकरे से पुजा होवे ओकरे से सुद्धी
हमनी के ओकरे से जुड़ल चौहद्दी
ओकरे से बल और बीर
एक डोल पानी तो भर द

देवाली-देवाली में दीया जलैलूँ
छठवा में ओकरे में अरघ चढ़ैलूँ
होलिए में ओहिजे भीड़
एक डोल पानी तो भर द

एक डोल घरे ले एक डोल दूरा
गइया के नाद में एक डोल पूरा
एक डोल साधू-फकीर
एक डोल पानी तो भर द

चाहे डोले धरती चाहे आवे परलय
चाहे धूरी-धक्कड़ में सब हो जाय लय
एकरा में बचल रहे नीर
एक‌‌ डोल‌ पानी तो भर द
.....

कवि - अस्मुरारी नंदन मिश
प्रतिक्रिया हेतु ब्लॉग के ईमेल - editorbejodindia@gmail.com







Monday 1 July 2019

बरसात पर दू गो कविता / लता प्रासर

बरसाती गर्मी बढ़ गेलो ह।हर हर पसेना चुए लग हय। मेहनत के पसेना में बड़ी खुशबू लग हय। आझे फिनु एगो खिस्सा सुनाब हकियो।
झलिया बड़ी गरीब हलय आउ ओकरे साथे पढ़ हलय बुल्की उ पैसाबला के बेटी हलय। दुनो के घर एक्के जगह हलय। एगो के कोलिया के इ पट्टी आउ दोसरका के उ पट्टी। दुन्नो एक्के इसकूल में पढ़S हलय। झलिया भोरे भिनसरे उठ के बोझा बिण्डा ढोबे चल जा हलय। हुंआ से आके पढ़ें जा हलय। एन्ने बुल्की मटकते-मटकते उठ हलय आउ इसकुल जाय में नौ नखरा करS हलय।
झलिया के बाबूजी बड़ी मेहनत करS हलखीं। बाकी के.......

बरसात-1
मुख्य पेज देखS- https://bejodindia.blogspot.com/ हर 12 घंटा पर देखSFB+ Watch Bejod India


मौसम के मिजाज बदल गेलो ह
सूरजबा के बदरा झांपले हो
मन मस्क हो जिया कस्क हो

बदरा भोरे से झमझमैते हो
तातल भुइयां सथा रहलो ह
पियासल खंधा नरम होलय

गामे गामे धान बुनाय लगलो
किसनमा के जी हरियाय लगलो
अदरा में बदरा मंडराय लगलो

नाली पमल्ला उपछाय लगलो
शहर के गली में छप छप पानी
तभियो कनिया शहर के दिवानी

बाल बुतरूअन मेघ से नहा के
झूम हय मनमा गेलय बता के
खुश होलय खूभे नाव बना के

बूढ़ पुरनिया भी मुस्कखीं भैया
पानी ल तरसल हल सभे गे दैया
दाल बला पुरी बनाब हय मैया

टाल टुकुर में खेत जोता हो
आउ बगल में मकइया बुना हो
सभे पियाज उखड़ गेलो ह
मौसम के मिजाज बदल गेलो ह!
....

बरसात-2

बीती गेलय जेठ महीनमा 
से बून नहीं परहय जी
धीमे-धीमे अइलय आषाढ़ 
से बून नहीं परहय जी
दुई चार दिन गरमयलय 
आउ झीसी झीसी परे लगलय जी
कोई चलाबहय ट्रेक्टर
आउ कोई पावरटीलर जी
टुनटुन घंटी बजैते
बैलबा पहुंच गेलय खेत
मथवा पर धान के मोटरिया
किसनमा चललय मोरी पारे जी

बाबा लगाबS हलखीं
मंसुरिया, सीतबा, नकजमाईन,
बासमती, बोगहा, कतरनी,
चूड़ा आउ चाउर से 
धमकहलय घर आउ दलान

बदललय जमाना
बदल गेलय धानमां
बउआ लगाबS हखीं
कंचन, जौहर सुप्रीम,
सोना, सोनम लोकनाथ
खाद आउ खल्ली से
अब उबज हो धान
ले रहलो ह सबके परान

ऊंचे-ऊंचे खेतबा में राहड़ बुनैतो
आउ तरी में लगतो मकइया
अभीये बुनैतो साग आउ सब्जीया
जैसे-जैसे बरखहय बुनमा
किसनमा के हरखS हय मनमां!
...

लिखताहर - लता प्रासर
लिखताहर के ईमेल आईडी - kumarilataprasar@gmail.com
प्रतिक्रिया करे लगी ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com  





Saturday 18 May 2019

भोलिया / लता प्रासर के मगही कहानी (प्रथम खंड)

भोलिया

लता प्रासर

भोलियां के घर में मातम छाल हय। कल्है से चुल्हा नय जोड़लकय ह भोलिया। बाल बुतरू ओकर टउआ रहले ह खैला बिनु। गोतिया नैया बला जे जरीमनी बुतरूअन के देलकय ह उहे खा के संतोष कर हय। आझे तो गजबे हो गेलय दु दिन के भुक्खल भोलिया भोरे से तीन चार बेरी बेहोश हो गेलय। सब कोय ओकरा समझाबे बुझाबे में लगल हय भोलिया कुछ सुने लगी तैयार नय हय.......

भोलिया एक्के रट लगैले हय कि अब हम्मर जिनगी के सब सपना चूर चूर हो गेलय। हम नय जिबौ अब । सब समझा के थक गेलय ऐसे नय बोल भोलिया तोरा अप्पन बाल बुतरू के कसम। मरे के बात नय करिहं। भोलिया के भर भर आंख लोर से डबडबा गेलय। भोलिया के एकक गो लोर में ओकरा लगय जयसे कोय गोली मार रहले ह।

भोरहीं छोटकी बहिनी कहलकय गे दीदिया हमरा  कोचिंग क्लास करा दीहं, अब अपने से नय बुझा हउ कि पढियउ। हां हां तों मेहनत कर कोचिंगबो करा देबउ। भाय के पढ़ाबे के जिम्मेदारी भी ओकरे हय। एतने में भैयबा बोल्या डे दीदिया हम्मर कूल्हे पैंट फट गेलउ जे देख हय सब हंस  हय,हमरा एगो नाया पैंट देवा दे। बाकि फटलके के सी के काम चला लेबउ। उपर से ओकर दुन्नों बुतरूअन भी पढ़े जुगुत हो गेलय।

भोलिया के माय ओतने भोली हय उ नय जान हय कि भोलिया पर कैसन पहाड़ टूट पड़ले ह।

भोलिया के मर्दाना कमाय के नाम पर दिल्ली में रह हय। बाकि पांच छो बरिस में एगो फुट्टल कौड़ी नय भेजलकय ह आझ तक। भोलिया के बाप एतना दारू पीय हलय जेकर हिसाब नय। जहिना भोलिया जरीयेगो हलय जहिने ओकरा पर दु गो भाय बहिन के छोड़़ के काल के गाल में समा गेलय। मरे समय भोलिया से कहलकय हम जा रहलियो ह बेटी अप्पन माय आउ भाय बहिन के धियान रखिहं।एतना कह के......।

भोलिया के बाप के मरते ही गाम के छौड़न सब ओकरा तंग करे लगलय।ओकर माय से कहय हमर बियाह भोलिया से करा दे नय त भोलिया  के लेके भाग जैबउ।

जब भोलिया के इ बात पता चललय त उ अप्पन चच्चा बिजुन जा के कहलकय।

बाकि एगो कहावत है ने अपना बिनु सब सपना,चच्चा कहलकय तोरा लगी हम दुश्मनी मोल नय लेबउ। भोलिया सगरो से निराश होके ठानलकय की अब हमरे कुछ करे पड़तय।

जे छौड़न सब तंग कर हलय भोलिया ओकरे बिजुन पहुंच गेलय। भोलिया के सामने देख ओकन्ही के त होशे उड़ गेलय। मुंह से एक्को वकार नय निकललय। हड़बड़ा के ठड़ी हो गेलय सब। हकला के बोललय भोलिया भोरे भोरे हिंया......? भोलिया तपाक से पूछलकय तों हमरा से बियाह करे ल चाह हीं?नय तो...,तोरा से के कहलकौ,माय हम्मर झूठ बोलतय की। आझ के बाद मैया के तंग नय करहीं समझनी, हम एतना निम्मर नय हिय। नय त बियाह करे के सौख हउ तो बोल। एतना कह के भोलिए हुंआ से निकल गेलय। गांव बला सब कह हय जहिना से कोय नय भोलिया के तंग कैलकय।

भोलिया के माय भोलिये के कहय बेटी अब तोंहीं पार लगैमहीं हमनी के। भोलिया के करेजा फट जा हय इ सुन के।

आज भोरे भोरे भोलिया मैया जौरे खेत पर जा रहले हल रस्तबे में एगो करिया गेहुंमन सांप फन फैलैले हलय।भोलिया कस के हकार पारलकय मैया गे सांप हउ। एतना सुनके मैया भोलिया के करेजा में साट लेलकय।दुनो के कुछ नया बुझा रहलय हल कि की करूं। संपवा ओसहीं बैठले हलय। धीरे-धीरे दुनो माय बेटी पीछु अड़े लगलय। अभी दुइए चार डेग पीछू बढ़ले हल कि देखलकय संपवा धीरे धीरे बगलवा बला खेतबा में घुस गेलय। तब जा के दुनो माय बेटी के जान में जान ऐलय। हालि से दुनो अप्पन खेत दने बढ़ गेलय। रौदा उग गेलय तब तक। माय आझे संपवा काट लेतौ हल तब। गे भोलिया हम्मर त जाने डेरा गेलउ। आझ तोर बाप रहतउ हल तो हमन्हीं के ऐसन दिन नय देखे पड़तो हल। हां माय ठीके कहहीं। भोलिया के माय अप्पन पहिला दिन याद करहय। भोलिया तोहर बाउ हमेशा कह हलखूं, भोलिया बड़ी तेज हय ऐकरा पढ़ा लिखा के अपसर बनैबय।भोलिए हम्मनी के दुख हरतै। आझे उ जिंदा रहतखुं हल त तोरा खेत नय आबे देथुं हल।

बोलते बोलते भोलिया के माय भभक पड़लय,भोलियो के अंखियां डबडबा गेलय।

भोलिया बाउ नय हखीं त कि हम्में कमा के पढबौ आउ उ दुन्नो के भी पढ़ैबउ। हां बेटी तोरे मुंह देख के हम्मर जी जुड़ा हउ।

भोलिया माय साथे कटनी बधनी करके रात में अपने पढ़य आउ भाय बहिन के भी पढ़े ल बैठाबय। भोलिया अबरी बोर्ड के परीक्षा देतय। बाकि ओकरा किताब कांपी खरीदे के पैसा नय हय। सबसे मांग मांग के किताब जौर कयलकय ह।कांपी के इंतजाम उ कबाड़ी बला से पुरनका कांपी के बचलका पन्ना फाड़ फाड़ के कैलकय। कबाड़ी बला ओकर पढ़ाई के लगन देख के बड़ी मदद कर हलय।

भोलिया भोलिया...........?
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लिखाताहर - लता प्रसार उर्फ़ मगहहिया दीदी 
लिखाताहर के ईमेल आईडी kumarilataprasar@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com




Friday 17 May 2019

मुनिया / लता प्रासर के मगही कहानी

मुनिया

मुनिया माथा पर पानी ढोते ढोते थक के बैठ गेलय।भीतरी से माय हंकावे  लगलखीं। गे मुनिया आउ पनिया ला देंहीं। भाउजी नहइथुं।

लता प्रासर
मुनियां गोसा गेलय,हम नय लइबउ अब चुरुओ भर पनिया।हमरा मन नय बढ़ियां लग रहलो ह।इ कोय नय सुने बला हय घर में। मुनिया चद्दर तान के सुत गेलय।

बाकि मुनिया के बोखार से नीन नय आ रहले हल। मुनिया लोर झोर होबय आउ सोचय हमरो मैया पढ़े लगी भेजते हल त हमहूं भउजी नियन रोज जैतिये हल कमाय लगी।आउ केकरो बात कहे के हिम्मत नय होते हल।

भैया नौकरी कर हय भउजी नौकरी कर हय आउ हमरा दाय नियन खटबाब हम। मैया भी भउजिए के मान हय।

इहे सोचते-सोचते कखने ओकर आंख लग गेलय नय मालूम।

मुनिया पढ़-लिख कर .............,,?

मुनिया के आंख लगते सपना ऐलय।

आज मुनिया कलक्टर बन गेलय ह। ओकर आगु पीछु कते गो सिपाही है आउ मुनिया गामे गाम जा के छौड़ी सबके जमा कर रहले ह। सपनपुर गाम के पीछु जे बगैचा हय ओकरा में दु तीन हजार छौड़ी सब जमा हो गेलय।अब मुनिया के संतोष हो रहलय ह कि ओकर बात के सुने लगी सब माय बाप अप्पन अप्पन बेटियन आबे देलखीं।

तब मुनकी बोललय तोहनी सब इ लगी बोलैलियो ह कि अब तोहनी के अप्पन मन मोताबिक पढ़े के व्यवस्था हम करबो। बाकि तोहनियों के वादा करे पड़तो कि मन लगा के पढ़भो।

कुल छौड़ी सब ठड़ी होके  हल्ला करे लगलय हमनीं सब पढ़बो। हमनियों सब चाह  ही कि तोरे नियन बन जाऊं।

मुनकी मन गदगद हो गेलय। ओकर बांह पसारते ही सभे टूट पड़लय मुनकी से गला मिलाबे लगी। एतने में मुनकी के आंख खुल गेलय। सामने ओकर भउजी ठड़ी होके मुसक रहले हल।

मुनकी अकचका के पूछे लगलय कि होलो भउजी। भउजी मुनिया के हाथ पकड़ के चुप हो गेलय। मुनिया के आंख लोरझोर देख के कहलकय तोरा पढ़े के मन हकों हम तोरा पढ़इबो।

मुनिया मने में देवी देवता के याद करके बोल्या हे भगवान सब के ऐसने भौजी दिहो।
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लिखताहर -  लता प्रासर
लिखाताहर के ईमेल आईडी - kumarilataprasar@gmail.com
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Friday 19 April 2019

हम्मर जगह हय / लता प्रासर

मगही लघु कथा



मुनकी आझे फिनु मरुआल हय। ओकरा केतना हुल्लस हलय पढ़ेके, इसकुल में सभे से आगु हलय कबड्डी खेले में । सब गाम बला कह हलय छौड़ी जरिको नय लजा हय, खेल खेले में आउ बोले में धाकड़ हय।

मुनकी के बाउजी के मरला बड़ी दिन हो गेलय। जहिना से मुनकी आउ ओकर भाय बहिन मिलके  माय के साथे साथे कटनी बधनी करने गुजारा कर रहले ह अप्पन।

गोतिया बला इ देख देख के जरS हय।जरतपन से मुनकी के आगु बला जगहिया में उ अप्पन घर के छज्जा निकाल रहलय ताकि सब लड़य। जहिना घरे में कोय नय हलय। मुनकिया के मैया गेहूं काटे गेल हलय आउ बड़का भैइबा ससुराल गेल हलय ।

मुनकी छिटपिटा रहलय हल कैसे माना करियय छजबा निकालते। कुछ देर चुप रहलय आउ बाकि गोतिया नैया के कहे गेलय कि ओकरा माना करहो हम्मर जगहिया पर छज्जबा नय निकालय। बाकी कोय मुनकी के मदद करेला तैयार नय होलय। ओकर चचा तो साफे कह देलकय कि तोरा लगी हम लड़े जैइयौ। तोरा जे करना हउ जा के कर।

मुनकी अब साहस बटोर के छोटका भाय के तैयार कैलकय । चलहीं माना करें चल हियौ। छोटका भैइबा डर से कहें लगलय छोड़ दीदी नय मानतौ। बाकि मुनकी से नय रहल गेलय। घरबा से  निकस गेलय।

दु गो मिस्त्री लगल हलय आउ दुनिया गो लेबर। भोनहा ओज्जी खड़ा होके छज्जबा निकाले ल कह रहले हल कि मुनकी जाके बोले लगलय- ए भोनहा चच्चा हम्मर जगहिया पर कहें छज्जबा निकाल रहलहो ह। आगु बढ़ा के छज्जबा देहो। हमरा हीं अभी कोय नय हय त तों तंग कर हो। अखनी बाउ रहतखुं हल त तोरा बतैतखुं हल।

मुनकी तूं चुपचाप हिंयां से चल जो।
काहे चल जैइऐ
हमरे जगहिया पर बना रहलहो ह आउ कहहो चल जाय।जरिको राज नय लग हको।निमरा जान के ऐसन कर रहलहो ने।
आगे मुनकी कहलिययौ ने चल जो।
दीदी ठीके ने कहा रहलो ह। हमर इ जगह हर।
असली तोंहू बोले लगना जो बहिनी के समझाहीं गन कि चुपचाप चल जाय।

एतना सुन मुनकी मिस्त्रीया के हाथबा से कढ़निये छीन लेलकय। ऐसे मिस्त्री जी न्यूज बनतो इ सब । काम रोक द।

होनहार आव देखलकय नय ताव गेलग आउ एगो छड़ ले के आइलय जैमहीं की नय। नय त एकरे से मथबा फाड़ देबउ।

मुनकी भी कहां पीछे हटे बला हय। हमरे जगहिया पर घरबो बनैबहो आउ हमरे मारभो। मार मुनकी एक आगु बढ़ गेलय । 
होनहार - हट जो मुनकी नय त अच्छा नय होतउ। 
नमन हटबो नय इ हम्मर जमीन हय। बउआ जो भौजी के बोला के ले आउ।

उ की करतौ। तूं हूं जो भीतरी भोनहा चच्चा मानभो कि नय। मुनकी जाके कुदार उठा लेलकय तों मारभो त तोरो काट देबो।

भोनहा आइलय कुदरबा जीने ल त मुनकी गरियाबे लगलय। तड्आक भोनहा छड़बा चला देलकय मुनकी माथा फट गेलय । पूरा भीड़ जुट गेलय मुनकी के माता फट गेलय। मुनकी खून से बोतम बोत हो गेलय गाम बला सब कैसहूं गमछी लपेट के खूनमां रोके के कोरसिस करय बाकि ढेर फट गेलय हल जे खून रूके नामे नय ले। बगल के डाक्टर देखें से मना कर देलकय। हालि से गाम बला मिलके शहर के अस्पताल पहुंचा देलकय सब।
बाप रे छत्तीस टांका पड़लय। गामा बला कह रहले हल । बाकि मुनकी अभियो बेहोशी में भी यही कह रहले ह कि इस हम्मर जगह हय।
......

लिखताहर - लता प्रासर
प्रतिक्रिया खातिर ईमेल आईडी- editorbejodindia@yahoo.com