Saturday 18 May 2019

भोलिया / लता प्रासर के मगही कहानी (प्रथम खंड)

भोलिया

लता प्रासर

भोलियां के घर में मातम छाल हय। कल्है से चुल्हा नय जोड़लकय ह भोलिया। बाल बुतरू ओकर टउआ रहले ह खैला बिनु। गोतिया नैया बला जे जरीमनी बुतरूअन के देलकय ह उहे खा के संतोष कर हय। आझे तो गजबे हो गेलय दु दिन के भुक्खल भोलिया भोरे से तीन चार बेरी बेहोश हो गेलय। सब कोय ओकरा समझाबे बुझाबे में लगल हय भोलिया कुछ सुने लगी तैयार नय हय.......

भोलिया एक्के रट लगैले हय कि अब हम्मर जिनगी के सब सपना चूर चूर हो गेलय। हम नय जिबौ अब । सब समझा के थक गेलय ऐसे नय बोल भोलिया तोरा अप्पन बाल बुतरू के कसम। मरे के बात नय करिहं। भोलिया के भर भर आंख लोर से डबडबा गेलय। भोलिया के एकक गो लोर में ओकरा लगय जयसे कोय गोली मार रहले ह।

भोरहीं छोटकी बहिनी कहलकय गे दीदिया हमरा  कोचिंग क्लास करा दीहं, अब अपने से नय बुझा हउ कि पढियउ। हां हां तों मेहनत कर कोचिंगबो करा देबउ। भाय के पढ़ाबे के जिम्मेदारी भी ओकरे हय। एतने में भैयबा बोल्या डे दीदिया हम्मर कूल्हे पैंट फट गेलउ जे देख हय सब हंस  हय,हमरा एगो नाया पैंट देवा दे। बाकि फटलके के सी के काम चला लेबउ। उपर से ओकर दुन्नों बुतरूअन भी पढ़े जुगुत हो गेलय।

भोलिया के माय ओतने भोली हय उ नय जान हय कि भोलिया पर कैसन पहाड़ टूट पड़ले ह।

भोलिया के मर्दाना कमाय के नाम पर दिल्ली में रह हय। बाकि पांच छो बरिस में एगो फुट्टल कौड़ी नय भेजलकय ह आझ तक। भोलिया के बाप एतना दारू पीय हलय जेकर हिसाब नय। जहिना भोलिया जरीयेगो हलय जहिने ओकरा पर दु गो भाय बहिन के छोड़़ के काल के गाल में समा गेलय। मरे समय भोलिया से कहलकय हम जा रहलियो ह बेटी अप्पन माय आउ भाय बहिन के धियान रखिहं।एतना कह के......।

भोलिया के बाप के मरते ही गाम के छौड़न सब ओकरा तंग करे लगलय।ओकर माय से कहय हमर बियाह भोलिया से करा दे नय त भोलिया  के लेके भाग जैबउ।

जब भोलिया के इ बात पता चललय त उ अप्पन चच्चा बिजुन जा के कहलकय।

बाकि एगो कहावत है ने अपना बिनु सब सपना,चच्चा कहलकय तोरा लगी हम दुश्मनी मोल नय लेबउ। भोलिया सगरो से निराश होके ठानलकय की अब हमरे कुछ करे पड़तय।

जे छौड़न सब तंग कर हलय भोलिया ओकरे बिजुन पहुंच गेलय। भोलिया के सामने देख ओकन्ही के त होशे उड़ गेलय। मुंह से एक्को वकार नय निकललय। हड़बड़ा के ठड़ी हो गेलय सब। हकला के बोललय भोलिया भोरे भोरे हिंया......? भोलिया तपाक से पूछलकय तों हमरा से बियाह करे ल चाह हीं?नय तो...,तोरा से के कहलकौ,माय हम्मर झूठ बोलतय की। आझ के बाद मैया के तंग नय करहीं समझनी, हम एतना निम्मर नय हिय। नय त बियाह करे के सौख हउ तो बोल। एतना कह के भोलिए हुंआ से निकल गेलय। गांव बला सब कह हय जहिना से कोय नय भोलिया के तंग कैलकय।

भोलिया के माय भोलिये के कहय बेटी अब तोंहीं पार लगैमहीं हमनी के। भोलिया के करेजा फट जा हय इ सुन के।

आज भोरे भोरे भोलिया मैया जौरे खेत पर जा रहले हल रस्तबे में एगो करिया गेहुंमन सांप फन फैलैले हलय।भोलिया कस के हकार पारलकय मैया गे सांप हउ। एतना सुनके मैया भोलिया के करेजा में साट लेलकय।दुनो के कुछ नया बुझा रहलय हल कि की करूं। संपवा ओसहीं बैठले हलय। धीरे-धीरे दुनो माय बेटी पीछु अड़े लगलय। अभी दुइए चार डेग पीछू बढ़ले हल कि देखलकय संपवा धीरे धीरे बगलवा बला खेतबा में घुस गेलय। तब जा के दुनो माय बेटी के जान में जान ऐलय। हालि से दुनो अप्पन खेत दने बढ़ गेलय। रौदा उग गेलय तब तक। माय आझे संपवा काट लेतौ हल तब। गे भोलिया हम्मर त जाने डेरा गेलउ। आझ तोर बाप रहतउ हल तो हमन्हीं के ऐसन दिन नय देखे पड़तो हल। हां माय ठीके कहहीं। भोलिया के माय अप्पन पहिला दिन याद करहय। भोलिया तोहर बाउ हमेशा कह हलखूं, भोलिया बड़ी तेज हय ऐकरा पढ़ा लिखा के अपसर बनैबय।भोलिए हम्मनी के दुख हरतै। आझे उ जिंदा रहतखुं हल त तोरा खेत नय आबे देथुं हल।

बोलते बोलते भोलिया के माय भभक पड़लय,भोलियो के अंखियां डबडबा गेलय।

भोलिया बाउ नय हखीं त कि हम्में कमा के पढबौ आउ उ दुन्नो के भी पढ़ैबउ। हां बेटी तोरे मुंह देख के हम्मर जी जुड़ा हउ।

भोलिया माय साथे कटनी बधनी करके रात में अपने पढ़य आउ भाय बहिन के भी पढ़े ल बैठाबय। भोलिया अबरी बोर्ड के परीक्षा देतय। बाकि ओकरा किताब कांपी खरीदे के पैसा नय हय। सबसे मांग मांग के किताब जौर कयलकय ह।कांपी के इंतजाम उ कबाड़ी बला से पुरनका कांपी के बचलका पन्ना फाड़ फाड़ के कैलकय। कबाड़ी बला ओकर पढ़ाई के लगन देख के बड़ी मदद कर हलय।

भोलिया भोलिया...........?
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लिखाताहर - लता प्रसार उर्फ़ मगहहिया दीदी 
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Friday 17 May 2019

मुनिया / लता प्रासर के मगही कहानी

मुनिया

मुनिया माथा पर पानी ढोते ढोते थक के बैठ गेलय।भीतरी से माय हंकावे  लगलखीं। गे मुनिया आउ पनिया ला देंहीं। भाउजी नहइथुं।

लता प्रासर
मुनियां गोसा गेलय,हम नय लइबउ अब चुरुओ भर पनिया।हमरा मन नय बढ़ियां लग रहलो ह।इ कोय नय सुने बला हय घर में। मुनिया चद्दर तान के सुत गेलय।

बाकि मुनिया के बोखार से नीन नय आ रहले हल। मुनिया लोर झोर होबय आउ सोचय हमरो मैया पढ़े लगी भेजते हल त हमहूं भउजी नियन रोज जैतिये हल कमाय लगी।आउ केकरो बात कहे के हिम्मत नय होते हल।

भैया नौकरी कर हय भउजी नौकरी कर हय आउ हमरा दाय नियन खटबाब हम। मैया भी भउजिए के मान हय।

इहे सोचते-सोचते कखने ओकर आंख लग गेलय नय मालूम।

मुनिया पढ़-लिख कर .............,,?

मुनिया के आंख लगते सपना ऐलय।

आज मुनिया कलक्टर बन गेलय ह। ओकर आगु पीछु कते गो सिपाही है आउ मुनिया गामे गाम जा के छौड़ी सबके जमा कर रहले ह। सपनपुर गाम के पीछु जे बगैचा हय ओकरा में दु तीन हजार छौड़ी सब जमा हो गेलय।अब मुनिया के संतोष हो रहलय ह कि ओकर बात के सुने लगी सब माय बाप अप्पन अप्पन बेटियन आबे देलखीं।

तब मुनकी बोललय तोहनी सब इ लगी बोलैलियो ह कि अब तोहनी के अप्पन मन मोताबिक पढ़े के व्यवस्था हम करबो। बाकि तोहनियों के वादा करे पड़तो कि मन लगा के पढ़भो।

कुल छौड़ी सब ठड़ी होके  हल्ला करे लगलय हमनीं सब पढ़बो। हमनियों सब चाह  ही कि तोरे नियन बन जाऊं।

मुनकी मन गदगद हो गेलय। ओकर बांह पसारते ही सभे टूट पड़लय मुनकी से गला मिलाबे लगी। एतने में मुनकी के आंख खुल गेलय। सामने ओकर भउजी ठड़ी होके मुसक रहले हल।

मुनकी अकचका के पूछे लगलय कि होलो भउजी। भउजी मुनिया के हाथ पकड़ के चुप हो गेलय। मुनिया के आंख लोरझोर देख के कहलकय तोरा पढ़े के मन हकों हम तोरा पढ़इबो।

मुनिया मने में देवी देवता के याद करके बोल्या हे भगवान सब के ऐसने भौजी दिहो।
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लिखताहर -  लता प्रासर
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