लाली लाली फूलवा आउ लाले लाले पतवा जी
जयिसे लागय सुगबा के ठोर जी।
सगरो देखैयो बालम लाले लाल जना हय
फूटी गेलय कोंहड़ी फुनगिया नितरा हय
बाग बगईचा बालम मनमा भरमाब हय
देखिये देखिये हम्मर मनमा जुड़ा हय
अबकी फगुनमा बालम चुनरिया रंगयिहा छिटेदार जी
सेहो पहेनी बालम होली खेले जयिबो
देवरा करहय गुहार जी।
देस परदेस से ननदोसी ऐलखिन
होली संग खेले ल हमार जी
पूरी पकवान बलमु हमहुँ बनयिबो
खाय ल बोलयिहा दोस्त यार जी
होलिया मनयिहा बालम मनमा रंगयिहा
लोग सब देख के सिहाय जी।
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लेखिका - लता प्रासर