Monday 1 July 2019

बरसात पर दू गो कविता / लता प्रासर

बरसाती गर्मी बढ़ गेलो ह।हर हर पसेना चुए लग हय। मेहनत के पसेना में बड़ी खुशबू लग हय। आझे फिनु एगो खिस्सा सुनाब हकियो।
झलिया बड़ी गरीब हलय आउ ओकरे साथे पढ़ हलय बुल्की उ पैसाबला के बेटी हलय। दुनो के घर एक्के जगह हलय। एगो के कोलिया के इ पट्टी आउ दोसरका के उ पट्टी। दुन्नो एक्के इसकूल में पढ़S हलय। झलिया भोरे भिनसरे उठ के बोझा बिण्डा ढोबे चल जा हलय। हुंआ से आके पढ़ें जा हलय। एन्ने बुल्की मटकते-मटकते उठ हलय आउ इसकुल जाय में नौ नखरा करS हलय।
झलिया के बाबूजी बड़ी मेहनत करS हलखीं। बाकी के.......

बरसात-1
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मौसम के मिजाज बदल गेलो ह
सूरजबा के बदरा झांपले हो
मन मस्क हो जिया कस्क हो

बदरा भोरे से झमझमैते हो
तातल भुइयां सथा रहलो ह
पियासल खंधा नरम होलय

गामे गामे धान बुनाय लगलो
किसनमा के जी हरियाय लगलो
अदरा में बदरा मंडराय लगलो

नाली पमल्ला उपछाय लगलो
शहर के गली में छप छप पानी
तभियो कनिया शहर के दिवानी

बाल बुतरूअन मेघ से नहा के
झूम हय मनमा गेलय बता के
खुश होलय खूभे नाव बना के

बूढ़ पुरनिया भी मुस्कखीं भैया
पानी ल तरसल हल सभे गे दैया
दाल बला पुरी बनाब हय मैया

टाल टुकुर में खेत जोता हो
आउ बगल में मकइया बुना हो
सभे पियाज उखड़ गेलो ह
मौसम के मिजाज बदल गेलो ह!
....

बरसात-2

बीती गेलय जेठ महीनमा 
से बून नहीं परहय जी
धीमे-धीमे अइलय आषाढ़ 
से बून नहीं परहय जी
दुई चार दिन गरमयलय 
आउ झीसी झीसी परे लगलय जी
कोई चलाबहय ट्रेक्टर
आउ कोई पावरटीलर जी
टुनटुन घंटी बजैते
बैलबा पहुंच गेलय खेत
मथवा पर धान के मोटरिया
किसनमा चललय मोरी पारे जी

बाबा लगाबS हलखीं
मंसुरिया, सीतबा, नकजमाईन,
बासमती, बोगहा, कतरनी,
चूड़ा आउ चाउर से 
धमकहलय घर आउ दलान

बदललय जमाना
बदल गेलय धानमां
बउआ लगाबS हखीं
कंचन, जौहर सुप्रीम,
सोना, सोनम लोकनाथ
खाद आउ खल्ली से
अब उबज हो धान
ले रहलो ह सबके परान

ऊंचे-ऊंचे खेतबा में राहड़ बुनैतो
आउ तरी में लगतो मकइया
अभीये बुनैतो साग आउ सब्जीया
जैसे-जैसे बरखहय बुनमा
किसनमा के हरखS हय मनमां!
...

लिखताहर - लता प्रासर
लिखताहर के ईमेल आईडी - kumarilataprasar@gmail.com
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Saturday 18 May 2019

भोलिया / लता प्रासर के मगही कहानी (प्रथम खंड)

भोलिया

लता प्रासर

भोलियां के घर में मातम छाल हय। कल्है से चुल्हा नय जोड़लकय ह भोलिया। बाल बुतरू ओकर टउआ रहले ह खैला बिनु। गोतिया नैया बला जे जरीमनी बुतरूअन के देलकय ह उहे खा के संतोष कर हय। आझे तो गजबे हो गेलय दु दिन के भुक्खल भोलिया भोरे से तीन चार बेरी बेहोश हो गेलय। सब कोय ओकरा समझाबे बुझाबे में लगल हय भोलिया कुछ सुने लगी तैयार नय हय.......

भोलिया एक्के रट लगैले हय कि अब हम्मर जिनगी के सब सपना चूर चूर हो गेलय। हम नय जिबौ अब । सब समझा के थक गेलय ऐसे नय बोल भोलिया तोरा अप्पन बाल बुतरू के कसम। मरे के बात नय करिहं। भोलिया के भर भर आंख लोर से डबडबा गेलय। भोलिया के एकक गो लोर में ओकरा लगय जयसे कोय गोली मार रहले ह।

भोरहीं छोटकी बहिनी कहलकय गे दीदिया हमरा  कोचिंग क्लास करा दीहं, अब अपने से नय बुझा हउ कि पढियउ। हां हां तों मेहनत कर कोचिंगबो करा देबउ। भाय के पढ़ाबे के जिम्मेदारी भी ओकरे हय। एतने में भैयबा बोल्या डे दीदिया हम्मर कूल्हे पैंट फट गेलउ जे देख हय सब हंस  हय,हमरा एगो नाया पैंट देवा दे। बाकि फटलके के सी के काम चला लेबउ। उपर से ओकर दुन्नों बुतरूअन भी पढ़े जुगुत हो गेलय।

भोलिया के माय ओतने भोली हय उ नय जान हय कि भोलिया पर कैसन पहाड़ टूट पड़ले ह।

भोलिया के मर्दाना कमाय के नाम पर दिल्ली में रह हय। बाकि पांच छो बरिस में एगो फुट्टल कौड़ी नय भेजलकय ह आझ तक। भोलिया के बाप एतना दारू पीय हलय जेकर हिसाब नय। जहिना भोलिया जरीयेगो हलय जहिने ओकरा पर दु गो भाय बहिन के छोड़़ के काल के गाल में समा गेलय। मरे समय भोलिया से कहलकय हम जा रहलियो ह बेटी अप्पन माय आउ भाय बहिन के धियान रखिहं।एतना कह के......।

भोलिया के बाप के मरते ही गाम के छौड़न सब ओकरा तंग करे लगलय।ओकर माय से कहय हमर बियाह भोलिया से करा दे नय त भोलिया  के लेके भाग जैबउ।

जब भोलिया के इ बात पता चललय त उ अप्पन चच्चा बिजुन जा के कहलकय।

बाकि एगो कहावत है ने अपना बिनु सब सपना,चच्चा कहलकय तोरा लगी हम दुश्मनी मोल नय लेबउ। भोलिया सगरो से निराश होके ठानलकय की अब हमरे कुछ करे पड़तय।

जे छौड़न सब तंग कर हलय भोलिया ओकरे बिजुन पहुंच गेलय। भोलिया के सामने देख ओकन्ही के त होशे उड़ गेलय। मुंह से एक्को वकार नय निकललय। हड़बड़ा के ठड़ी हो गेलय सब। हकला के बोललय भोलिया भोरे भोरे हिंया......? भोलिया तपाक से पूछलकय तों हमरा से बियाह करे ल चाह हीं?नय तो...,तोरा से के कहलकौ,माय हम्मर झूठ बोलतय की। आझ के बाद मैया के तंग नय करहीं समझनी, हम एतना निम्मर नय हिय। नय त बियाह करे के सौख हउ तो बोल। एतना कह के भोलिए हुंआ से निकल गेलय। गांव बला सब कह हय जहिना से कोय नय भोलिया के तंग कैलकय।

भोलिया के माय भोलिये के कहय बेटी अब तोंहीं पार लगैमहीं हमनी के। भोलिया के करेजा फट जा हय इ सुन के।

आज भोरे भोरे भोलिया मैया जौरे खेत पर जा रहले हल रस्तबे में एगो करिया गेहुंमन सांप फन फैलैले हलय।भोलिया कस के हकार पारलकय मैया गे सांप हउ। एतना सुनके मैया भोलिया के करेजा में साट लेलकय।दुनो के कुछ नया बुझा रहलय हल कि की करूं। संपवा ओसहीं बैठले हलय। धीरे-धीरे दुनो माय बेटी पीछु अड़े लगलय। अभी दुइए चार डेग पीछू बढ़ले हल कि देखलकय संपवा धीरे धीरे बगलवा बला खेतबा में घुस गेलय। तब जा के दुनो माय बेटी के जान में जान ऐलय। हालि से दुनो अप्पन खेत दने बढ़ गेलय। रौदा उग गेलय तब तक। माय आझे संपवा काट लेतौ हल तब। गे भोलिया हम्मर त जाने डेरा गेलउ। आझ तोर बाप रहतउ हल तो हमन्हीं के ऐसन दिन नय देखे पड़तो हल। हां माय ठीके कहहीं। भोलिया के माय अप्पन पहिला दिन याद करहय। भोलिया तोहर बाउ हमेशा कह हलखूं, भोलिया बड़ी तेज हय ऐकरा पढ़ा लिखा के अपसर बनैबय।भोलिए हम्मनी के दुख हरतै। आझे उ जिंदा रहतखुं हल त तोरा खेत नय आबे देथुं हल।

बोलते बोलते भोलिया के माय भभक पड़लय,भोलियो के अंखियां डबडबा गेलय।

भोलिया बाउ नय हखीं त कि हम्में कमा के पढबौ आउ उ दुन्नो के भी पढ़ैबउ। हां बेटी तोरे मुंह देख के हम्मर जी जुड़ा हउ।

भोलिया माय साथे कटनी बधनी करके रात में अपने पढ़य आउ भाय बहिन के भी पढ़े ल बैठाबय। भोलिया अबरी बोर्ड के परीक्षा देतय। बाकि ओकरा किताब कांपी खरीदे के पैसा नय हय। सबसे मांग मांग के किताब जौर कयलकय ह।कांपी के इंतजाम उ कबाड़ी बला से पुरनका कांपी के बचलका पन्ना फाड़ फाड़ के कैलकय। कबाड़ी बला ओकर पढ़ाई के लगन देख के बड़ी मदद कर हलय।

भोलिया भोलिया...........?
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लिखाताहर - लता प्रसार उर्फ़ मगहहिया दीदी 
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Friday 17 May 2019

मुनिया / लता प्रासर के मगही कहानी

मुनिया

मुनिया माथा पर पानी ढोते ढोते थक के बैठ गेलय।भीतरी से माय हंकावे  लगलखीं। गे मुनिया आउ पनिया ला देंहीं। भाउजी नहइथुं।

लता प्रासर
मुनियां गोसा गेलय,हम नय लइबउ अब चुरुओ भर पनिया।हमरा मन नय बढ़ियां लग रहलो ह।इ कोय नय सुने बला हय घर में। मुनिया चद्दर तान के सुत गेलय।

बाकि मुनिया के बोखार से नीन नय आ रहले हल। मुनिया लोर झोर होबय आउ सोचय हमरो मैया पढ़े लगी भेजते हल त हमहूं भउजी नियन रोज जैतिये हल कमाय लगी।आउ केकरो बात कहे के हिम्मत नय होते हल।

भैया नौकरी कर हय भउजी नौकरी कर हय आउ हमरा दाय नियन खटबाब हम। मैया भी भउजिए के मान हय।

इहे सोचते-सोचते कखने ओकर आंख लग गेलय नय मालूम।

मुनिया पढ़-लिख कर .............,,?

मुनिया के आंख लगते सपना ऐलय।

आज मुनिया कलक्टर बन गेलय ह। ओकर आगु पीछु कते गो सिपाही है आउ मुनिया गामे गाम जा के छौड़ी सबके जमा कर रहले ह। सपनपुर गाम के पीछु जे बगैचा हय ओकरा में दु तीन हजार छौड़ी सब जमा हो गेलय।अब मुनिया के संतोष हो रहलय ह कि ओकर बात के सुने लगी सब माय बाप अप्पन अप्पन बेटियन आबे देलखीं।

तब मुनकी बोललय तोहनी सब इ लगी बोलैलियो ह कि अब तोहनी के अप्पन मन मोताबिक पढ़े के व्यवस्था हम करबो। बाकि तोहनियों के वादा करे पड़तो कि मन लगा के पढ़भो।

कुल छौड़ी सब ठड़ी होके  हल्ला करे लगलय हमनीं सब पढ़बो। हमनियों सब चाह  ही कि तोरे नियन बन जाऊं।

मुनकी मन गदगद हो गेलय। ओकर बांह पसारते ही सभे टूट पड़लय मुनकी से गला मिलाबे लगी। एतने में मुनकी के आंख खुल गेलय। सामने ओकर भउजी ठड़ी होके मुसक रहले हल।

मुनकी अकचका के पूछे लगलय कि होलो भउजी। भउजी मुनिया के हाथ पकड़ के चुप हो गेलय। मुनिया के आंख लोरझोर देख के कहलकय तोरा पढ़े के मन हकों हम तोरा पढ़इबो।

मुनिया मने में देवी देवता के याद करके बोल्या हे भगवान सब के ऐसने भौजी दिहो।
......

लिखताहर -  लता प्रासर
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Friday 19 April 2019

हम्मर जगह हय / लता प्रासर

मगही लघु कथा



मुनकी आझे फिनु मरुआल हय। ओकरा केतना हुल्लस हलय पढ़ेके, इसकुल में सभे से आगु हलय कबड्डी खेले में । सब गाम बला कह हलय छौड़ी जरिको नय लजा हय, खेल खेले में आउ बोले में धाकड़ हय।

मुनकी के बाउजी के मरला बड़ी दिन हो गेलय। जहिना से मुनकी आउ ओकर भाय बहिन मिलके  माय के साथे साथे कटनी बधनी करने गुजारा कर रहले ह अप्पन।

गोतिया बला इ देख देख के जरS हय।जरतपन से मुनकी के आगु बला जगहिया में उ अप्पन घर के छज्जा निकाल रहलय ताकि सब लड़य। जहिना घरे में कोय नय हलय। मुनकिया के मैया गेहूं काटे गेल हलय आउ बड़का भैइबा ससुराल गेल हलय ।

मुनकी छिटपिटा रहलय हल कैसे माना करियय छजबा निकालते। कुछ देर चुप रहलय आउ बाकि गोतिया नैया के कहे गेलय कि ओकरा माना करहो हम्मर जगहिया पर छज्जबा नय निकालय। बाकी कोय मुनकी के मदद करेला तैयार नय होलय। ओकर चचा तो साफे कह देलकय कि तोरा लगी हम लड़े जैइयौ। तोरा जे करना हउ जा के कर।

मुनकी अब साहस बटोर के छोटका भाय के तैयार कैलकय । चलहीं माना करें चल हियौ। छोटका भैइबा डर से कहें लगलय छोड़ दीदी नय मानतौ। बाकि मुनकी से नय रहल गेलय। घरबा से  निकस गेलय।

दु गो मिस्त्री लगल हलय आउ दुनिया गो लेबर। भोनहा ओज्जी खड़ा होके छज्जबा निकाले ल कह रहले हल कि मुनकी जाके बोले लगलय- ए भोनहा चच्चा हम्मर जगहिया पर कहें छज्जबा निकाल रहलहो ह। आगु बढ़ा के छज्जबा देहो। हमरा हीं अभी कोय नय हय त तों तंग कर हो। अखनी बाउ रहतखुं हल त तोरा बतैतखुं हल।

मुनकी तूं चुपचाप हिंयां से चल जो।
काहे चल जैइऐ
हमरे जगहिया पर बना रहलहो ह आउ कहहो चल जाय।जरिको राज नय लग हको।निमरा जान के ऐसन कर रहलहो ने।
आगे मुनकी कहलिययौ ने चल जो।
दीदी ठीके ने कहा रहलो ह। हमर इ जगह हर।
असली तोंहू बोले लगना जो बहिनी के समझाहीं गन कि चुपचाप चल जाय।

एतना सुन मुनकी मिस्त्रीया के हाथबा से कढ़निये छीन लेलकय। ऐसे मिस्त्री जी न्यूज बनतो इ सब । काम रोक द।

होनहार आव देखलकय नय ताव गेलग आउ एगो छड़ ले के आइलय जैमहीं की नय। नय त एकरे से मथबा फाड़ देबउ।

मुनकी भी कहां पीछे हटे बला हय। हमरे जगहिया पर घरबो बनैबहो आउ हमरे मारभो। मार मुनकी एक आगु बढ़ गेलय । 
होनहार - हट जो मुनकी नय त अच्छा नय होतउ। 
नमन हटबो नय इ हम्मर जमीन हय। बउआ जो भौजी के बोला के ले आउ।

उ की करतौ। तूं हूं जो भीतरी भोनहा चच्चा मानभो कि नय। मुनकी जाके कुदार उठा लेलकय तों मारभो त तोरो काट देबो।

भोनहा आइलय कुदरबा जीने ल त मुनकी गरियाबे लगलय। तड्आक भोनहा छड़बा चला देलकय मुनकी माथा फट गेलय । पूरा भीड़ जुट गेलय मुनकी के माता फट गेलय। मुनकी खून से बोतम बोत हो गेलय गाम बला सब कैसहूं गमछी लपेट के खूनमां रोके के कोरसिस करय बाकि ढेर फट गेलय हल जे खून रूके नामे नय ले। बगल के डाक्टर देखें से मना कर देलकय। हालि से गाम बला मिलके शहर के अस्पताल पहुंचा देलकय सब।
बाप रे छत्तीस टांका पड़लय। गामा बला कह रहले हल । बाकि मुनकी अभियो बेहोशी में भी यही कह रहले ह कि इस हम्मर जगह हय।
......

लिखताहर - लता प्रासर
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Friday 12 April 2019

उ बुतरूआ के की दोस ? - अखबार के खबर पर मगहिया दीदी के गुस्सा के उबार

उ बुतरूआ के की दोस हय जे कूड़ा कचरा नियन रोडबा पर फेंका गेलय




भोरे भोरे अखबार के कोना में छोटेगो खबरिया पढ़के बड़ी दुख होलो। खबरिया भले तनीगो हको बाकि हम्मर अस्तित्व लगि बड़गो बात हको। इ बतिया पर आजहूं माने आधुनिक युग में भी सोचे के बड़ी जरूरत हय।


काहे कोय माय एतना कठोर निर्णय ले लेहय। आउ ओकर पिता तो हम नय कह सकहिय बाकि वजूदकर्ता जे पहिलहीं भाग खड़ा होब हय। आउ उ माय के वही वजूदकर्ता तमाशबीन हो लांक्षन लगाबे में कोय कोर कसर नय छोड़ हय

समाज से हम्मर एकेगो सवाल हय कि कोय लड़की अकेले माय बन सक हय कि बताब जरी। फिन ओकरा समाज में बैठल लोग सब अकेले काहे कोसे लगs हय। आउ एतना भी जाने लगा जहमत उठावें के कोशिश नय करs हखीं कि उ बुतरूआ के जन्म के सहभागी के हय।

यही से उ सहभागी के मन बढ़ जा हय आउ दोसरका भी आउ मजबूती से ऐसन दुख के अंजाम देवे ल तैयार हो जा हय। इ सब घटना से खालि माय के कोख कलंकित नय होब हय मनुष्य के अस्तित्व भी धूल धूसरित होब हय।

इ सब में उ बुतरूआ के की दोस हय जे कूड़ा कचरा नियन रोडबा पर फेंका गेलय। बड़गो होके जब अप्पन कहानी इहे समाज से सुनतय त ओकरा मन पर की असर पड़तय आउ ओकर की प्रतिक्रिया होतय इ भी सोचे के जरूरत हय आउ ठोस कदम उठावे के जरूरत हय।  

हम्मरा कुछ भी कहना छोटी मुंह बड़ी बात होतो इ से सब समाज से करजोड़ के विनंती हको कि लड़की के ऐसन स्थिति से बचाव नय तो लड़का के अस्तित्व भी खतरा में पड़ जयतो। काहे कि दुनिया में इहे दुगो जात मिलके सृष्टि के उत्तरोत्तर विकास कर हय।


इ बेटी के रग में जेकर खून दौड़ रहलो ह उ खूनमा के कसम।
...

आलेख - लता प्रासर "मगहिया दीदी"
छायाचित्र - दैनिक भास्कर, पटना संस्करण के 11.4.2019 के अंक से 
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देख अपने के राह तकते तकते / कवयित्री - लता प्रासर


मगही कविता 



देख अपने के राह तकते तकते 
हम आ गेलियो गंगा मैया के कोरा में
अकेले कुछो निमन नय लगs हको
आवs न अंगुरिया पकड़ के बुतरू नियन घूरा द
सुरूजो डूबल जा हखूं

देखहो ने केतना सुन्नर लगs हय एज्जा
आवs हम्मर अंखियों तोहरे निरेख रहलो ह
इ गंगा के कछार पर हवा भी तोहरे याद देलावs हको
तोहरा बिना की बतिऐइयो ओकरा से

आवs हाली सुनी 
सुनावs दिलवा के बतिया
एतना हम तो आ गेलियो
बाकि छूट गेलो तोहरे बिजुन
ऐइहा ले ले अइहा हमरो साथे साथे
गैइबो दुनो मिलके कुछ खटगर कुछ मिठगर!
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कवयित्री - लता परासर "मगहिया दीदी"
कवयित्री के ईमेल आईडी - lataprasar@gmail.com
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com 






Sunday 6 January 2019

रोशनियां

हेलते अगहन बियाह के धमस सुनाय परे लगलय।कल्हे संझिया के घर घुसते उ कहे लगलखीं लगन सुरू हो गेलो। सुन टलही बियाह के गीत।हमहूं सुनिये रहलिये   हs।

बियाह के नाम सुन सबके मुंह चमचमाय लग हय। चाहे बियाह होला केतनो दिन हो जाय। फेसबुक पर एगो पोस्ट पढ़लिय जेकरा में उ अपन बियाह के अंठाबनवां सालगिरह में सज-धज के दुल्हा दुल्हिन बनल हलखीं।

आझो उनखर पोस्ट में उहे जोश देखाय पड़लय सायत जैसन उ बियाह घड़ी मसूस कैलखिन होत। अगहन सुरू होते दरजी के दोकान पर धमकुचड़ी होवे लग हय।सब के बियाह में जाय लगी नयका कपड़ा चाही।

जब जाय बला के एतना जोश रहय त बताब जेकर बियाह होतय ओकर कि हाल होतय। रोशनियां के भी बियाह होबे बला हय।ओकर बाउजी किसान हखीं।हाली हाली धान समेटे के कोशिश में लगल हंखी।एकदने लगौनी हय दाल दलहन के सरसों राय के आउ गेहूं के भी।उपर से रोशनियां के बियाह के करसामा।

रोशनियां के बाउजी सोंच लेलखिन्ह की एमकी कुल्हे धान खेरहनिये से बेच देबय।आउ रोशनियां के बियाह खूब धूमधाम से करबय।बाकि धान कटलो पर कोय पिटे बला नय मिल रहले ह। सब रब्बि लगाबे में व्यस्त हय।
जवनकन सब सहरे चल गेलय।कोय नय खेती में कमाय ल चाह हय।रोशनायां के बाउजी के चिंता सता रहले ह कि लड़का बला कहलखिन की अगहन में बियाह होतो।

अब चिंता इहो बढ़ गेलय कि धान पिटलो पर बिकतय नय तब कि होतय। अभी कोय खबर नय हय कि सरकार धान लेतय कि नय।रोशनियां के बाउजी बड़गो किसान हखीं।अभियो तीस चालीस बिगहा खेत हय। बाकि उनका से जादे ठाट बाट में उनके गांव के गुड्स गार्ड रह हय।

जब जब रोशनियां के बाउजी बड़गो खेतिहर होबे के गुमान में डूबे लग हखीं, रोशनियां उहे गुड्स गार्ड के कहानी छेड़ देहय।कहे लग हय कैसे उ अप्पन बाल बुतरु के बढ़ियां इसकूल में पढ़ैलखिन। बाउजी हमरो ओइसने इसकुल में पढ़ैत हल त हमहूं कुछ करे लायक बनतीये हल।

रोशनियां के बाउजी के कोय जबाव नय सुझै‌।मनेमन सोचे लग हखीं कि पढ़ल लिखल बेटी रहते हल त आज लड़का बला के मनमानी नय चलते हल।आउ दहेज लगी हमरा एतना  माथा नय पीटे पड़ते हल।

हमहूं तो चाहबे कर हलिय कि रोशनियां के अफसर बनैइय रोशनियां भी पढ़े में तेज हलय बाकि बेटा के पढ़ाबे के मोह रोशनियां ऐसहीं रह गेलय‌।खेत में एतना आमदनी नय हलय कि रोशनियां के होस्टल में भेज सकहलिय।
गाम में बढ़ियां इसकूल कहां हलय जहिना।

अगहन हेल गेलय पैसा के इंतजाम नय हो रहले ह। कैसे होतय रोशनियां के बियाह।
(............क्रमश:)
...
लिखताहर - लता  प्रासर

Saturday 5 January 2019

Small Bites (Magahi)


2. मगही होली गीत - राजकुमार प्रेमी के विडियो / इहाँ क्लिक करs

1. मगही के पहिला उपलब्ध उपन्यास के पूरा किताब हे /  इहाँ क्लिक करs