Friday 12 April 2019

उ बुतरूआ के की दोस ? - अखबार के खबर पर मगहिया दीदी के गुस्सा के उबार

उ बुतरूआ के की दोस हय जे कूड़ा कचरा नियन रोडबा पर फेंका गेलय




भोरे भोरे अखबार के कोना में छोटेगो खबरिया पढ़के बड़ी दुख होलो। खबरिया भले तनीगो हको बाकि हम्मर अस्तित्व लगि बड़गो बात हको। इ बतिया पर आजहूं माने आधुनिक युग में भी सोचे के बड़ी जरूरत हय।


काहे कोय माय एतना कठोर निर्णय ले लेहय। आउ ओकर पिता तो हम नय कह सकहिय बाकि वजूदकर्ता जे पहिलहीं भाग खड़ा होब हय। आउ उ माय के वही वजूदकर्ता तमाशबीन हो लांक्षन लगाबे में कोय कोर कसर नय छोड़ हय

समाज से हम्मर एकेगो सवाल हय कि कोय लड़की अकेले माय बन सक हय कि बताब जरी। फिन ओकरा समाज में बैठल लोग सब अकेले काहे कोसे लगs हय। आउ एतना भी जाने लगा जहमत उठावें के कोशिश नय करs हखीं कि उ बुतरूआ के जन्म के सहभागी के हय।

यही से उ सहभागी के मन बढ़ जा हय आउ दोसरका भी आउ मजबूती से ऐसन दुख के अंजाम देवे ल तैयार हो जा हय। इ सब घटना से खालि माय के कोख कलंकित नय होब हय मनुष्य के अस्तित्व भी धूल धूसरित होब हय।

इ सब में उ बुतरूआ के की दोस हय जे कूड़ा कचरा नियन रोडबा पर फेंका गेलय। बड़गो होके जब अप्पन कहानी इहे समाज से सुनतय त ओकरा मन पर की असर पड़तय आउ ओकर की प्रतिक्रिया होतय इ भी सोचे के जरूरत हय आउ ठोस कदम उठावे के जरूरत हय।  

हम्मरा कुछ भी कहना छोटी मुंह बड़ी बात होतो इ से सब समाज से करजोड़ के विनंती हको कि लड़की के ऐसन स्थिति से बचाव नय तो लड़का के अस्तित्व भी खतरा में पड़ जयतो। काहे कि दुनिया में इहे दुगो जात मिलके सृष्टि के उत्तरोत्तर विकास कर हय।


इ बेटी के रग में जेकर खून दौड़ रहलो ह उ खूनमा के कसम।
...

आलेख - लता प्रासर "मगहिया दीदी"
छायाचित्र - दैनिक भास्कर, पटना संस्करण के 11.4.2019 के अंक से 
प्रतिक्रिया भेजे खातिर ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com

No comments:

Post a Comment