Wednesday 3 January 2018

माघ के दिन बाघ, नहाय बला सब घाघ / लता प्रासर

माघ के दिन बाघनहाय बला सब घाघ

लता प्रासर
माघे जाड़ नय पूसे जाड़जेतने बियार ओतने  जाड़ ।
अरिये अरिये खेते खेते धनमा तो कटाई गेलय।
घरे घरे चुड़वा कुटाई गेलय,
चुड़वा कुटीये कुटी सबके पेठाई रहलय।
धी दमाद से रिस्ता हरियाले रहय।
किसनमा भगवान से मनैते रहय।

येही धनमा रिस्ता जोड़य।
येही धनमा मनमा जोड़य।
कुछ धनमा पुरहर ल रखल।
कुछ धनमा चुमौना ल बचैले हय।
ऐले मघबा बाजा बजतय।

मुनिया,रधिया, चुन्नी मुन्नी सबके गौना होतय।
गौना मे चुमौना होतय।
चुनिया के भयिबा साथे जयतय।
भाय बहिन के रिस्ता मे स्नेह बढ़ैतय।
जब मुनिया ससुराल पहुंचलय।
सास ससुर सब राह देखS हय।
ऐलय दुल्हिन लैलकय चुड़बा।
ये ही तो संदेश कहाबय।
घर घर जा के यही बटाबय।
सगे संबंधी के चुड़बा से दिल जोड़ाबय।

माघ माघ सब माघ रटS हय।
जब हव्वा हिलोरा मारय।
आग काठी सब ठंढ पड़ल हय।
नदिया के पनिया सुखे लगलय।
ताल तलैया सूना पड़लय।
धान के बाद जे गेहूंआ लगलय।
पनिया पनिया करहय।

हरियाली पर पियरी चढ़ल हय।
सरसो पियर मनमा हरियर।
कैसन सब पर खुमारी चढ़ल हय।
माघ हवा मे हिलोरा मारय।
फुलबा सरसों के कालीन बनल हय।
जियरा तरसय, मनमा हरसय।
सरसो से गले मिलावे ल।
जब सरसोइया झन झन बजय।
गोरी के याद देलाबS हय।
मनमा के बहकाबS हय।
सरसो के झन झन सुन सुन के।
कोयलियो नाचS गाबS हय।
पियबा के याद दिलाबS हय।

बूट के गादाकेराव के गादा।
मथबा पर किसनमा लादा।
.......
  
लिखताहर- लता प्रासर
पता- लोहरा हरनौत
ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com

5 comments:

  1. बहुत खूबसूरत शब्द है कविता के

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  3. कविता पढ़ते पढ़ते ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं गांव में बैठा होऊं। आपकी यह प्रस्तुति बहुत अच्‍छी लगी ।

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    1. आपके उद्गार हेतु हार्दिक आभार सुनील जी!

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