अइलय बसंत,नहिं पिया मोरे अइलन
सखि हे अइलय बसंत,नहिं पिया मोरे अइलन
रहिया देखS ही सखि हे काहे नहिं अइलन
फुलबा खिलS है सखि हे रंग बिरंग के
पिया बिनु सखि हे कौनो रंग नय भावै
हरियर हरियर पतबा सखि हे जियरा जराबS हय
गाछ बृक्ष सखि हे हलसल करS हय
हलसी हलसी हमरा मुंहबा चिढ़ाबS हय
झुमी झुमी राग बसंत के गाबS हय
कयिसन नौकरिया करS ह बलेमु जी
चलि आबS छोड़ि के ऐसनो नौकरिया
बीती गेलय जड़बा, अइलय बसंत
तोरा बिनु पियबा कटय न दिन रतिया
घर ही मे पियाजी बाग लगईहS
धान आउ गेहुंआ के खेतिया करईहS
बुटबा खेसड़िया के झंगरी लगईहS
सरसों के फुलबा से बसंत के बोलईहS
अइलय बसंत पियाजी तुहूँ चलि आबS
अपने ही हथबा से चुड़िया पेनहाबS
धानी रंग के लंहगा आउ चुनरी ओढ़ाबS
हमरा संग पियाजी बसंत मनाबS
तोहरो सनेस पियाजी सुनी हम गाबS ही
रह रह मनमा के अपने समझाबS ही
ऐहो बसंत लागी तोरा हम मनाबS ही
तोरे हम जिनगी के सिंगार मानS ही।
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लिखताहर - लता प्रासर
पता- लोहरा, नालंदा
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