Saturday 23 December 2017

सुरेन्द्र स्निग्ध के याद में / लता प्रासर

अक्खड़ मियाज के एगो लेखक भुइयां छोड़ मट्टी में मिल गेलखीं। हमर शहर पटना उनखर याद के जौर करे मे लगल हय।हां जे तों समझ रहलहो ह हम उनखे बात कर रहलियो ह। पटना यूनिवर्सिटी के बुतरूअन के धड़कन हलखिन सुरेन्द्र स्निग्ध जी।

 


नखर शान में कुछो कहल जाय कमही होतय। हमरा त उनका जाने के मोक्का कमही मिललय,बाकि 21 दिसंबर 2017 के दिन उनकर श्रद्धांजलि सभा में जे सुने ल मिललय उ मन के छूए ल बहुते हलय। हम सब जैसन नौसिखिया लगी उ प्रेरणा हलखीं।बिना केकरो परवाह कैले कैसे अपन लेखनी पर दृढ़ता से अधिकार कैल जा हय एही गुन उनका सबसे अलग रख हलय। स्निग्ध जी के कहानी,उपन्यास, कविता सब मे उनकर तेवर देखे ल मिल जा हय। एहे साल हिन्दी भवन मे एगो कार्यक्रम मे मुलकात होलय हल। तब हम पुछलिय अपने के तबियत कैसन हय,कहलखिन  सब बढिया। बाकि कमजोरी से मुहमा उतरल हलय।

सचमुच आज भुइँया उनकर याद मे शोक मना रहले ह। हमनी सब दने से इहे श्रद्धांजलि होतय कि हमनियो बेपरवाह होके साहित्य के सेवा करूं आउ कराउं ।
लिखताहर- लता प्रासर
पता- लोहरा, हरनौत, बिहार ,भारत।
ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com

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