Monday 4 December 2017

ई ह हमर दू दिन के ब्यौरा पटना पुस्तक मेला के

किताब के दुनिया उ सागर हय जे चखे मे खारा तो लग हय बाकि जीनगी के अस्तित्व ओकरे पर टीकल हय



दू दिन से किताब के मेला लगल हको। इगारह दिसम्बर तक चलतो। सब के नौता दे रहलियो ह। अइह जरूर ,हमहुं भुलाइल हियो मेलबे में। कहाँ कुछ सूझS हय मेलबा के आगू। किताब से दोस्ती यारी त हमरा बुतरुए से हलय। बाकि इ अब आकाश चढ़े लगलय ह।


अच्छा छोड़S इ सब बात। अब दू दिन में जे देखलिओ बताबS हियो।पहिलका दिन मुखमंत्री एकर उद्घाटन कैलखिन। आउ कहलखिन कोय शराब पिये ,चाहे बेटी के बियाह में दहेज लेबे त ओकर बहिष्कार कर। किताब के दुनिया उ सागर हय जे चखे मे खारा तो लग हय बाकि जीनगी के अस्तित्व ओकरे पर टीकल हय।

एजा मिजाज के हिसाब से किताब अलगे अलगे लगाबल गेलय ह। कोय के कहानी अच्छा लग हय। कोय कविता, उपन्यास, निबंध,आदि के खोजे मे लगल हखीं। अपन अपन सौख से सब किताब खरीद के पढ़े में मशगूल हखीं। इ मेला एकदम किताब घर जयसन लगS हय।

दुसरका दिन भीड़ आउ बढ़ गेलो। बिहार में सीता के देस में इस्त्री कथा पर परिचर्चा कैल गेलो। बाकि बड़का बड़का बिद्वान चर्चा में लगल हलखीं। इ मेला नय कोय बड़का नय कोय छोटका बुझा हखीं इहे एकर बड़प्पन हय।

एकबार फिर हम कहहियो सब कोय आबS किताब से गला मिलाबS
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लिखताहर - लता प्रासर (Lata Prasar)
मूल निवास - लोहरा (नालंदा)
वर्तमान निवास - पटना, बिहार


   


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