फागुन अइलय बालम तुहूँ चली आवS
गौना कराके हमरा ससुरे ले आवS
सभे सखि गावहय हमरा रिझावहय
कर हकय हंसिया ठिठोली जी
जबे तु अइहा बालेम टिकुली ले अइहS
लाले रंग चुनरी रंगयिहा गोटेदार जी
अंगिया सिलयिहा खुबे फैसनदार जी
रंग महाबर आउरो होठ लाली जी
किया तोरा बालेम जी जिया नय धड़कहो
काहे करहS एते देर जी
दुई चार लोग बोलाई ले अइहS
गौना कराइके हमरा ले जयिहS
धानी हमरो धड़कय जियरा
तोहरा से मिले ल मन बउरा हय
लाज के मारे हम चुप रही जा ही
मने मे तोरा से खूबे बतिया ही.
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लिखताहर - लता प्रासरपता- लोहरा हरनौत
ईमेल- kumarilataprasar@gmail.com